विश्वजीत भट्टाचार्य: सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की “साइकिल” 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पहिये खो चुकी है. उनकी साइकिल के पहिए खोल लिए हैं मायावती ने. वही मायावती, जिनको पिता मुलायम सिंह की मर्जी के खिलाफ जाकर अखिलेश ने बुआ बनाया था. सन्न अखिलेश के लिए “माया मिली न राम” वाली हालत हो गई है.
विधान परिषद चुनाव के नतीजे बने वजह ?
2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी को ठिकाने लगाने के लिए अखिलेश यादव ने महागठबंधन का गेमप्लान चला था. इसके चलते वो मुलायम की राय के विरोधी बने और मायावती से मुलाकात कर समझौता किया. समझौते के तहत उप चुनाव में मायावती ने सपा के कैंडिडेट्स को जिताया, लेकिन इसके बाद विधान परिषद चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार को अखिलेश जिता नहीं सके. माना जा रहा है कि इसी नतीजे ने मायावती के सामने “स्वयंभू भतीजे” अखिलेश की छवि गड़बड़ा दी.
ये भी पढ़ें- जय श्री राम के नारों के साथ 13 मुस्लिमों ने कराया धर्म परिवर्तन
मायावती ने उस वक्त सिर्फ इतना कहा था कि अखिलेश को अपने वोट जुटाकर रखने चाहिए थे. दरअसल, मायावती ने सियासत का पानी इतने घाटों से पीया है कि वो जानती हैं कि कब कितना, क्या और कैसा बोलना है. उन्होंने इसके बाद ये भनक तक नहीं लगने दी कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के दौरान वो कांग्रेस और सपा से हाथ मिलाएंगी या नहीं. मायावती की राजनीति को कांग्रेस और सपा के नेता बेंगलुरु में कुमारस्वामी की ताजपोशी के वक्त भी नहीं पहचान सके. सोनिया के साथ सिर से सिर भिड़ाए ठहाके लगाती हुई मायावती को बेंगलुरु में सबने देखा. दोनों की ये तस्वीर अखबारों में खूब बड़े साइज में छपी, लेकिन तस्वीर में मायावती की उस हंसी के पीछे का राज कोई पढ़ नहीं सका.
कांग्रेस का लिया नाम, अखिलेश को दिया झटका
मायावती ने बुधवार को कांग्रेस के खिलाफ जमकर आग उगली. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस भी बीजेपी की तरह बीएसपी को खत्म करना चाहती है. दिग्विजय सिंह के बहाने मायावती ने कांग्रेस को डरपोक कह दिया और ये भी एलान कर दिया कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीएसपी और कांग्रेस का कोई गठजोड़ नहीं होगा.
मायावती ने बयान तो कांग्रेस के खिलाफ दिया, लेकिन 2019 के लिए अखिलेश यादव के गेमप्लान की “भ्रूण हत्या” कर दी. कांग्रेस पर अपनी पार्टी को खत्म करने का गंभीर आरोप लगाकर मायावती ने ये भी साफ कर दिया है कि यूपी में बीएसपी किसी भी हालत में कांग्रेस के साथ खड़ी नहीं होगी. अब सवाल ये है कि क्या मायावती फिर अखिलेश का साथ देंगी ? इस सवाल का जवाब बुधवार को ही आए अखिलेश यादव के बयान से मिल जाता है.
ये भी पढ़ें- माया ने दिखाया ठेंगा, अखिलेश अब यहां से लगाए हैं ‘बड़े दिल’ की उम्मीद !
अखिलेश ने बुधवार को कांग्रेस से कहा था कि वो ही कम से कम बड़ा दिल दिखाए. यानी उन्हें ये आभास हो चुका था कि “बुआ” से उन्हें कुछ हासिल होने वाला नहीं है. बात अगर कांग्रेस की करें, तो यूपी में उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है. मायावती की बीएसपी 2014 में यूपी से लोकसभा की एक भी सीट नहीं जीती थी. वहीं, अखिलेश के पिता मुलायम समेत कुनबे के ही 5 लोग लोकसभा पहुंचे थे.
अखिलेश के सामने विकट स्थिति
इस बार अखिलेश के लिए हालात जुदा के साथ विकट भी हैं. चाचा शिवपाल अलग ताल ठोक रहे हैं और लोकसभा चुनाव में सपा के वोटबैंक में उनके सेंध लगाने के आसार हैं. मायावती की ओर से उम्मीद खत्म होने के साफ संकेत मिल चुके हैं. कांग्रेस का सूबे में दम निकला हुआ है. कुल मिलाकर मायावती के अलग राह पर जाने के एलान का सबसे बड़ा खामियाजा अखिलेश को भुगतना पड़ सकता है. जाहिर है, विपक्ष में इस बिखराव से बीजेपी बम-बम कर रही होगी.