योगी की पुलिस ने दी पीएम मोदी को सबक सिखाने की धमकी

लखनऊ: अनुशासन ही व्यक्ति को महान बनाता है. ये लाइन आपने हर थाना और पुलिस दफ्तर में देखी होगी. लेकिन बीते दिनों यूपी की पुलिस जिसतरह से सोशल मीडिया और अब पोस्टर बाजी पर उतर आई है, उसके बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या यूपी की पुलिस बेलगाम और बागी हो गई है ? क्या डीजीपी ओपी सिंह पुलिस विभाग पर कमांड खो चुके हैं ? क्योंकि जिसतरह से लखनऊ में हुए विवेक तिवारी हत्याकांड में पुलिस ने पूरी मुहीम छेड़ी है और आरोपी की पत्नी के अकाउंट में लाखों रुपए जमा करने का काम किया उसके बाद पुलिस की अनुशासनहीनता का नमूना सामने आ गया. वहीं अब उन्नाव में जिस तरह पुलिस स्मृति दिवस के बाद उन्नाव में पोस्टर बाजी शुरु हुई है. उससे पुलिस बल के अंदर बढ़ रही असंतुष्टी सामने आ गई है. जो किसी भी दिन ज्वालामुखी का रूप ले सकती है.

‘शांत नहीं हम मौन है, 2019 में बताएँगे हम कौन हैं.’

पोस्टर लगाने की ये परंपरा राजनीतिक पार्टियों की रही है. आरोप और प्रत्यारोप की राजनीति से प्रेरित पोस्टर हमेशा सामने आते रहे हैं, लेकिन अब उन्नाव में पुलिस कर्मियों ने नया कारनामा किया है. राजधानी लखनऊ से सटे जिले उन्नाव में सुबह का धुंधलका जब छटा तो कंप्यूटर से प्रिंट किए गए, स्लोगन वाले पोस्टर कई जगह चिपके मिले. जिसमें साफ लिखा था कि ‘शांत नहीं हम मौन है, 2019 में बताएँगे हम कौन हैं.’ यानी इशारा ही नहीं सीधी चुनौती थी पीएम मोदी के लिए जो 2019 में दोबारा पीएम बनने का सपना देख रहे हैं.

poster in opposition to government

वायरलेस के एक मैसेज से मचा हड़कंप

उन्नाव पुलिस को जैसे ही इस मामले की सूचना मिली, अधिकारियों ने तत्काल पुलिस फोर्स भेजकर पूरे शहर को छान मारने और पोस्टरों का नामोनिशान मिटाने का आदेश जारी कर दिए गए. वायरलेस पर मैसेज गूंजने लगा कि सभी थानाध्यक्ष अपने बाजार, हाट और बस अड्डों को चेक करें कहीं भी कोई पोस्टर दिखे तो तत्काल कप्तान को सूचित किया जाए. शहर के मुख्य इलाकों में लगे पोस्टरों को पुलिस हटाकर मामले को रफा दफा करने में जुटी थी. लेकिन उससे पहले ये ख़बर सोशल मीडिया के माध्यम से लखनऊ में बैठे आलाधिकारियों तक पहुंच चुकी थी. वायरल हुई इन तस्वीरों से अधिकारियों के होश फाख्ता हो गए. मामले का खुद डीजीपी ने एसपी उन्नाव से जानकारी ली और पोस्टर लगाने वालों को पकड़ने की कवायद शुरु हो गई. पुलिस अब शहर के सीसीटीवी और विभाग में पनपी असंतुष्टी का पता लगाने में जुटी है.

यह भी पढ़े:  हाथ से निकलते संगठन और सरकार पर संघ ने यूं कसा शिकंजा, सटीक निशाने पर लगा तीर

क्या यूपी पुलिस में विद्रोह होने वाला है ?

‘हम पुलिस वालों को 24 घंटे मशीन की तरह काम लेने वाली सरकार से हमारी कुछ मांगे हैं. यदि पूरा नहीं किया गया तो जनता और सरकार हम सिपाहियों से अपनी सुरक्षा की उम्मीद छोड़ दें, क्योंकि अब हम भी मूक दर्शक बनने जा रहे हैं.’
ये दोनों लाइनें एक पोस्टर का हिस्सा है.

स्मृति दिवस में हाथ लगी निराशा

पुलिस कर्मियों की नाराजगी की वजह स्मृति दिवस पर सीएम योगी की चुप्पी एक वजह है. इससे पहले हमेशा अखिलेश सरकार में पुलिस कर्मियों को कोई न कोई तोहफा देने की रवायत रही है. पुलिसकर्मी इस बार भी योगी के मुंह से कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन निराशा हांथ लगी जिसके बाद पुलिस कर्मियों का गुस्सा फूट पड़ा.

क्या है पुलिस कर्मियों की मांगें

  1. पुलिस कर्मियों की मांग है कि बॉर्डर स्कीम को बिना शर्त के हटाया जाए.
  2. वेतन भत्तों में जो विसंगति है उसको दूर किया जाए.
  3. ड्यूटी की अवधि यानी घंटे निर्धारित किए जाए.

यह भी पढ़े: प्रियंका पर बेनामी पोस्टर के जरिए रायबरेली में गांधी परिवार पर वार

पुलिस विभाग में व्यापत असंतुष्टी ओर विरोध को लेकर पूर्व डीजीपी केएनडी द्विवेदी से राजसत्ता एक्सप्रेस ने बात की, तो उन्होंने कहा- पुलिस अनुशासित बल है, पोस्टर बैनर की जगह पुलिस सम्मेलन में ये बात कहनी चाहिए. पुलिस कर्मियों की मांगें सरकार, शासन के पास विभाग ने पहले से ही पत्रावलि भेज रखी है. सीमित बजट की वजह से प्रक्रिया पूरी करने में समय लग रहा है. सोशल मीडिया में विचार व्यक्त करने से किसी व्यक्ति को रोका नहीं जा सकता है. क्योंकि रोकने से ज्यादा बढ़ेगा, अभिव्यक्ति अनुशासन में हो तो उचित है.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles