स्वामी भद्राचार्य ने आश्वासन दिया और माहौल बनाकर खत्म हो गयी धर्मसभा
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर हुई धर्मसभा में वीएचपी ने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा है कि राम मंदिर को लेकर ये आखिरी सभा है। इसके बाद कोई सभा या सम्मेलन नहीं होगा. विहिप की इस धर्मसभा में अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि, राम मंदिर के भूमि के बंटवारे को नहीं माना जाएगा. धर्मसभा में कहा गया कि करोड़ो हिंदूओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन को जारी रखा जाएगा.
वहीं स्वामी राम भद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि 11 दिसंबर के बाद सरकार राम मंदिर पर बड़ा फैसला ले सकते हैं. क्योंकि सरकार के नंबर दो मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि 11 दिसम्बर तक कोई सरकार कोई निर्णय ले लेगी.
‘भूमि का बंटवारा मंजूर नहीं, पूरी की पूरी जमीन चाहिए’
विहिप के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने लाखों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में कहा कि, राम मंदिर के लिए हमें भूमि का बंटवारा मंजूर नहीं. हमें पूरी की पूरी जमीन चाहिए. उन्होंने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अपना केस वापस लेना चाहिए. साथ ही चंपत राय ने कहा कि अब मंदिर मुद्दे पर कोई और सभा नहीं होगी, अब सीधे इसका निर्माण प्रारंभ होगा.
‘विवादित जमीन पर नहीं पढ़ी जानी चाहिए नमाज’
राम मंदिर निर्माण के लिए हो रही धर्मसभा में सुबह से ही हजारों की संख्या में विहिप के कार्यकर्ताओं के साथ साथ साधु संत भी पहुंचने लगे थे.धर्मसभा को देखते हुए अयोध्या को छावनी में तबदील कर दिया गया था. लाखों कार्यकर्तओं को संबोधित करते हुए चंपत राय ने कहा कि अब मुस्लमानों को विवादित जमीन पर नमाज नहीं पढ़नी चाहिए.
‘पहले मंदिर फिर सरकार, हर हिंदू की यही पुकार’
‘पहले मंदिर फिर सरकार, हर हिंदू की यही पुकार’ राम नगरी अयोध्या में आयोजित धर्मसभा में पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने यह नारा बार बार लगाया गया. शनिवार को शिवसेना की ओर से आयोजित की गई संत आशीर्वाद सभा में शिवसैनिकों ने भी यही नारे लगा रहे थे.
राम मंदिर भी था चुनावी जुमला
संत आशीर्वाद सभा में शिवसेना अध्यक्ष उद्घव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा था तो वहीं आज जब रामलला के दर्शन करने के बाद बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि, पिछले चार सालों में सरकार ने कुछ नहीं किया. अगर मामला अदालत के पास ही जाना है तो इसका चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए. जनता से कह देना चाहिए कि राममंदिर भी हमारे लिए एक चुनावी जुमला था.
‘इसी सत्र में सरकार लाए अध्यादेश’
उद्घव ठाकरे के जैसे ही हजारों संतो ने आज मांग रखते हुए कहा की सरकार को इस मसले पर कानून लाना चाहिए. संसद का एक सत्र बचा हुआ है, इसी सत्र में मंदिर निर्माण के लिए सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए. जबकि रामभद्राचार्य ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि राममंदिर को लेकर सरकार 11 दिसंबर के बाद एलान करेगी.
राम मंदिर के मुद्दे पर लंबे अरसे से राजनीति होती आई है. 1989 में बीजेपी ने पालमपुर अधिवेशन में राम मंदिर निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी. उसके बाद से अब तक सरयू में काफी पानी बह चुका है लेकिन अभी तक मंदिर का निर्माण नहीं हुआ है. बीजेपी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने का इंतजार कर रही है.