नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर नमो एप फिर चर्चा में है. वजह ये है कि इस एप के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के लिए कम से कम 5 और अधिकतम 1000 रुपए का चंदा लोगों से मांगा है. चंदा देने वालों को मोदी से मुलाकात का मौका भी मिलेगा, लेकिन इस चंदे के पीछे की कहानी ऐसी है, जो बताती है कि आखिर विपक्षी दल क्यों मोदी के दिमाग से दसियों साल पीछे की सोचते हैं और हर बार उन्हें पटकनी मिलती है.

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आखिर क्यों मांगा जा रहा है चंदा ?

करीब 900 करोड़ की संपत्ति के साथ बीजेपी देश की सबसे ज्यादा पैसे वाली पार्टी है. देश पर सबसे लंबे वक्त तक राज कर चुकी कांग्रेस भी संपत्ति के मामले में उससे पीछे है. फिर बीजेपी के लिए नमो एप के जरिए पीएम मोदी आखिर चंदा क्यों मांग रहे हैं. वो भी सिर्फ 5 रुपए ! इसकी वजह चौंकाने वाली है. पहले तो बता दें कि आखिर चंदा मांगने की ये शुरुआत कब हुई है. ये शुरुआत हुई है इस साल अक्टूबर से. टाइमिंग पर गौर करें, तो मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इस योजना को लॉन्च किया गया.

बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि ये योजना पार्टी के लिए महज चंदा जुटाने का ही मामला नहीं है. इसके जरिए पीएम मोदी खुद जानना चाहते हैं कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव और 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में समर्थकों की संख्या कितनी है. यानी एक तरह से 5 रुपए लेकर मोदी ये सर्वे करा रहे हैं कि बीजेपी को कितने वोट मिल सकते हैं.

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चंदा देने वालों की जानकारी नहीं

इस एप के जरिए अब तक कितने लोगों ने कितना चंदा दिया, इसकी भी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है. बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि कितने लोगों ने चंदा दिया, इसका खुलासा नहीं किया जाएगा. हां, चंदे में जो पैसा मिला, पार्टी उसकी जानकारी आगे चलकर दे सकती है. ऐसा इसलिए, ताकि विपक्षी दलों को ये पता न चल सके कि देश में कितने लोग बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं. नमो एप के जरिए चंदा जुटाने का ये काम जारी है और इसके साथ ही पार्टी के भीतर लगातार ये सर्वे भी चल रहा है कि कितने लोग पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में ईवीएम का बटन दबा सकते हैं.

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