2 डिग्री बढ़ा तापमान, तो भारत में जान गंवा सकते हैं हजारों लोग !

आईपीसीसी की रिपोर्ट में तापमान में वृद्धि को लेकर खतरे की घंटी बजाई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तापमान इसी रफ्तार से बढ़ता रहा, तो ग्लोबल वॉर्मिंग 2030 से 2052 के बीच 1.5 डिग्री सेल्यिस तक ऊपर जा सकती है.

नई दिल्ली: आईपीसीसी की ओर से पर्यावरण में बदलाव संबंधी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर दुनिया का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ा, तो इससे भारत में गर्मी बढ़ने से हजारों लोगों की जान जा सकती है. बता दें कि साल 2015 में भारत में जानलेवा गर्म हवाएं चली थीं, जिनकी वजह से कम से कम ढाई हजार लोगों को जान गंवानी पड़ी थी.

चार महानगरों का तापमान बढ़ा

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक ब्रिटेन स्थित क्लाइमेट साइंस संबंधी वेबसाइट carbonbrief की स्टडी कहती है कि भारत के चार बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता का औसत तापमान पिछले 147 साल में एक डिग्री या इससे ज्यादा बढ़ा है. बता दें कि इस साल दिसंबर में पोलैंड में पर्यावरण में बदलाव पर होने जा रही बैठक में आईपीसीसी रिपोर्ट के अनुमानों पर चर्चा होगी. यहां तमाम देश क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए पेरिस अग्रीमेंट की समीक्षा भी करेंगे. भारत सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है. ऐसे में वो वैश्विक इवेंट में अहम किरदार निभाएगा.

तापमान बढ़ना खतरे की घंटी

आईपीसीसी की रिपोर्ट में तापमान में वृद्धि को लेकर खतरे की घंटी बजाई गई है. इसमें कहा गया है कि 2030 तक दुनिया में औसत तापमान 1.5 डिग्री (प्री-इंडिस्ट्रियल लेवल से अधिक) के स्तर तक पहुंच सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तापमान इसी रफ्तार से बढ़ता रहा, तो ग्लोबल वॉर्मिंग 2030 से 2052 के बीच 1.5 डिग्री सेल्यिस तक ऊपर जा सकती है. रिपोर्ट का कहना है कि भारतीय उपमहाद्वीप में कोलकाता और पाकिस्तान के कराची में गर्म हवाओं का सबसे ज्यादा खतरा है. कोलकाता और कराची में हालात 2015 की तरह हो सकते हैं. गर्म हवाओं से होने वाली मौतों में वृद्धि हो रही है और इसमें पर्यावरण में बदलाव की बड़ी भूमिका है.

ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ी तो बढ़ेगी गरीबी

आईपीसीसी रिपोर्ट से संकलित ‘1.5 हेल्थ रिपोर्ट’ को लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और क्लाइमेट ट्रैकर ने कहा है कि 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने का भारत और पाकिस्तान पर सबसे बुरा असर होगा. क्लाइमेट चेंज की वजह से खाद्य असुरक्षा और गरीबी में वृद्धि, महंगाई, आमदनी में कमी, आजीविका अवसरों में कमी, जनसंख्या पलायन और खराब स्वास्थ्य जैसी समस्याएं भी होंगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से गरीबी भी बढ़ेगी. इसमें कहा गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस की बजाय 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोकने से 2050 तक करोड़ों लोग क्लाइमेट चेंज से जुड़े खतरों और गरीबी में जाने से बच जाएंगे. यह सीमा मक्का, धान, गेहूं और दूसरे फसलों में कमी को भी रोक सकती है. भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में सिर्फ कोयले से चलने वाले बिजलीघरों से करीब 929 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन किया था. जो देश का 79 फीसदी ऊर्जा उत्पादित करता है.

Previous articleराम मंदिर को लेकर अनशन पर बैठे परमहंस दास को पुलिस ने जबरन उठाया
Next articleनीरव मोदी का एक और फ्रॉड, विदेश में की ठगी, करोड़ों में बेच डाली नकली हीरे की अंगूठियां