Kumbh History: कभी फायदे का सौदा हुआ करता था कुंभ का मेला

विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले कुंभ की शुरूआत हो चुकी है. इस बार कुंभ का मेला संगम नगरी प्रयागराज में सजा है. देश और दुनिया भर से लाखों की संख्या में लोग इस मेले को देखने के लिए आते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि प्रयागराज में लगा कुंभ का मेला मकर संक्रांति से शुरू हुआ और महाशिवरात्रि के दिन खत्म होगा.

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आज के समय में कुंभ का आयोजन करवाने में करोडों रूपए खर्च होते हैं. और ये किसी भी प्रकार से सरकार की आमदनी का जरिया नहीं होता. लेकिन एक समय ऐसा भी था कि विश्व का सबसे बड़ा मेला कुंभ कभी फायदे का कुंभ हुआ करता था. इस बात की गवाही इलाहाबाद स्थित क्षेत्रीय अभिलेखागार में मौजूद द्सतावेज देते हैं. दस्तावेजों में दर्ज आंकड़ो के अनुसार 1882 के कुंभ में 20,228 रूपए खर्च हुए थे. इसकी तुलना में मेले से कुल 49,840 रूपए की आमदनी हुई, जिस राजकोष में जमा कराया गया और इस तरह से सरकार को उस टाइम कुंभ से सरकार को 29,6012 रूपए का लाभ हुआ

मेले के बाद तैयार की गई थी रिपोर्ट

1882 में हुए कुंभ मेले से मिले धन को कहीं बाहर नहीं भजा गया बल्कि इसे प्रयागराज में हीं कई महत्वपूर्ण सुविधाओं के लिए ख्रर्च किया गया. क्षेत्रीय अभिलेखागार में 1882 के कुंभ में हुए खर्च का ऐताहासिक ब्यौरा अब भी सुरक्षित है. दस्तावेजों के मुकाबिक उत्तर-पश्चिम प्रांत के सचिव एआर रीड ने 1882 के कुंभ के मेले के समापन के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी. रिपोर्ट में मेले की तैयारियों और मेले के समय किए गए दौरों के अनुभव के आधार पर व्यवस्था आकलन किया गया था.

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