मोदी सरकार हिन्दू घुसपैठियों के दे सकती है नागरिकता,असम की सियासत गरमाई
नई दिल्ली। घुसपैठियों में हिन्दू-मुस्लिम का भेद करने पर असम में राजनीतिक माहौल गरम है। भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आये मुस्लिम घुसपैठिए तो भगाए जाएं मगर वहां से आये हिन्दुओं को भारत की नागरिकता दी जाए।
जबकि असम में भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट इस प्रस्ताव के विरोध में है। 11 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा होनी है। माना जा रहा है कि अगर केंद्र सरकार ने संशोधन के लिए विधेयक लायी तो दोनों सहयोगी पार्टियां असम में एनडीए से अलग हो जाएंगी।
संसद में पेश हुआ था प्रस्ताव
भाजपा शुरू से विस्थापित हिन्दुओं के प्रति नरम रवैया रखती है। इसकी वजह मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के साथ अमानवीय व्यवहार है। केंद्र की एनडीए सरकार ने बाहर से आये हिन्दुओं को नागरिकता देने के लिए नागरिकता क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव संसद में पेश किया था। इस पर राय देने के लिए भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल की अध्यक्षता में एक संयुक्त संसदीय समिति गठित की गयी थी। बताया जा रहा है कि समिति की रिपोर्ट तैयार है जिसे संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।
रिपोर्ट पर चर्चा के आसार कम
जो राजनीतिक हालात हैं उनमें इस संसद का कामकाज सुचारु तरीके से चलने के आसार बहुत कम हैं। कांग्रेस व पूरा विपक्ष राफेल विमान सौदे और सीबीआई भृष्टाचार मुद्दे पर सरकार को सदन में घेरने की तैयारी कर रहा है। जाहिर है सरकार नागरिकता क़ानून संशोधन विधेयक दोनों सदनों में पास करवाने की हालत में नहीं है। हंगामे के चलते इसपर बहस ही नहीं हो पाएगी। फरवरी में प्रस्तावित संसद का बजट सत्र भी इससे अलग नहीं रहने वाला।
चुनावी फायदे के लिए आएगा अध्यादेश
बहुसंख्यक हिंदुओं के लिहाज से नागरिकता क़ानून में संशोधन भाजपा के लिए फायदेमंद है। आगामी लोकसभा चुनाव में जिस तरह हिन्दुओं की लामबंदी हो रही है उसमें यह संशोधन का चुनावी फायदा उठाने से भाजपा नहीं चूकेगी। विपक्ष वैसे भी अल्पसंख्यकों के लिहाज से इस संशोधन का किसी हाल में समर्थन नहीं करने वाला। ऐसे में एक ही रास्ता है कि मोदी सरकार अध्यादेश (आर्डिनेंस) लाकर मुद्दे को अपने पक्ष में भुना सकती है। सूत्र बता रहे हैं हैं कि इसके पूरी संभावना भी है।
अगप और बोडोलैंड फ्रंट का टूटना तय
अध्यादेश पर पूर्वोत्तर में एनडीए के साथी असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट भाजपा से अपना नाता हर-हाल में तोड़ लेंगे। दोनों ही पार्टियां क़ानून में संशोधन का विरोध खुलकर कर रही हैं बता दें कि 126 सदस्यों वाली असम विधानसभा में भाजपा के 60, अगप के 14 और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के 12 विधायक हैं। वहीँ कांग्रेस के 26 तो बदरुद्दीन अजमल वाले एआईयूडीएफ के 13 और एक निर्दलीय विधायक है।
भाजपा सूत्र बताते हैं कि असम में अपनी सोनेवाल सरकार को लेकर पार्टी निश्चिन्त है। माना जा रहा है कि समर्थन वापसी की स्थिति में अगप के ही कई विधायक टूट कर भाजपा में आ जाएंगे। कानून में संशोधन का विरोध यूं तो नितीश कुमार की जनता दाल युनाइटेड ने भी किया है, मगर पार्टी मान रह है कि इस मुद्दे पर एनडीए से नाता तोड़कर जेडीयू बिहार में अपनी सरकार को शायद ही डिस्टर्ब करे।