बड़ी ख़बरः शपथ लेने के साथ ही किसानों का कर्ज माफ कर सकते हैं कमलनाथ!

एमपी में किसानों का कर्ज माफ करने का दावा करके सरकार बनाने वाली कांग्रेस पार्टी अपने वादे को जल्द से जल्द निभाने की तैयारी में है। विशिष्ठ सूत्रों के हवाले से मिली राजसत्ता एक्सप्रेस को जानकारी के मुताबिक कमलनाथ शपथ लेने के साथ ही किसानों से किया वादा निभाने के मूड में है। जिसके लिए उन्होंने तैयारी पूरी कर ली है।

17 तारीख को कमलनाथ शपथ लेने के बाद कैबिनेट बैठक करेंगे। जिसके बाद प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा देंगे।

योगी फॉर्मूला अपना सकते हैं कमलनाथ

सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के वित्त विभाग को इसके लिए आंकड़े जुटाने का संदेश दे दिया गया है। जिसके बाद अधिकारी प्रदेश के किसानों के कर्ज का आंकड़ा बैंकों से जुटाने में लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस कर्ज चुकाने का फॉर्मूला भी तैयार कर रही है। माना जा रहा है। कि कमलनाथ सरकार किसानों के कर्ज को अलग अलग कैटगरी में रखकर कर्ज माफ करेगी। जिनमें  सीमांत, लघु, दूसरे किसानों का वर्गीकरण करके पहले सीमांत फिर लघु किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। जैसा की यूपी की योगी सरकार ने किया था। यही फॉर्मूला कमलनाथ एमपी में भी अपना सकते हैं।

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‘कर्ज माफ नहीं किया तो दस दिन में बदल देंगे सीएम’

कांग्रेस अध्यक्ष चुनावी रैली के दौरान खुले मंच से किसानों का कर्ज दस दिन में माफ करने का दावा कर रहे थे। राहुल ने दिन गिनाते हुए कहा था कि सरकार बनने के बाद दस दिन गिनिएगा। दस दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ तो हम सीएम बदल देंगे। अब यही दावा उनके लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है। क्योंकि तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिवराज ने राहुल के इस दावे पर ही चौकीदारी करने की बात कहकर चुनौती दे दी है।

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कांग्रेस को मिला खाली खजाना

अब जरा राहुल के वादे और नए सीएम बने कमलनाथ की सबसे बड़ी परीक्षा का मूल्यांकन भी कर लीजिए। क्योंकि एमपी विधानसभा चुनाव के दौरान लोक लुभावन वादे कर सत्‍ता संभालने वाली कांग्रेस पार्टी और कमलनाथ का पहला स्वागत खाली खजाने और भारी भरकम कर्ज से होगा। दस दिन में कर्जमाफी करने के लिए राज्य के अधिकारियों ने खजाने को टटोलना शुरु कर दिया है। साथ ही किसानों के कर्ज का भी पता करना शुरु कर दिया है। ताकि अगले कुछ दिनों में उसे नए सीएम के सामने पेश किया जा सके। मुश्किल कर्ज माफी ही नहीं बल्कि कांग्रेस के वचन पत्र को भी अक्षरश: लागू करना भी बड़ी बात है। खजाने का लेखा जोखा देखे तो..

मध्य प्रदेश इनदिनों केंद्र के कर्ज तले दबा है

वित्त विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 1,60,871 करोड़ का कर्ज है।

राज्य सरकार ने तीन महीने से कर्ज की किस्तें नहीं चुकाई।

चुनाव पूर्व शिवराज सरकार ने केंद्र से मोटा कर्ज लिया।

5 अक्टूबर को करीब 500 करोड़ रुपए

12 अक्टूबर को करीब 600 करोड़ रुपए

9 नवंबर को करीब 800 करोड़ रुपए

इसके साथ ही 4 दिसंबर को भी सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज लिया। जिससे कर्ज बढ़कर 1 लाख 87 हजार 636 करोड़ हो गया है। ऐसे में खाली खजाना कांग्रेस और कमलनाथ का मुंह चिढ़ा रहा है। कमलनाथ को न सिर्फ अब किसानों का कर्ज माफ करना है। बल्कि केंद्र के कर्ज को भी चुकाना है। किसानों के कर्ज की बात करें तो.

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प्रदेश के 41 लाख किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं।

41 लाख किसानों के ऊपर 56 हजार 377 करोड़ रुपए लोन बकाया है।

21 लाख किसानों ने एक भी रुपए कर्ज नहीं चुकाया।

कांग्रेस को खजाना खाली इसलिए भी मिल रहा है। क्योंकि शिवराज सरकार ने संबल योजना को लागू करने के लिए 10 हजार करोड़ का कर्ज लिया था। जो खर्च हो चुका है। साथ ही संबल योजना के तहत जनता का चुनाव पूर्व 5146 करोड़ का बकाया बिजली बिल भी शिवराज सरकार ने माफ किया था। जो अब कांग्रेस का दम निकालने की तैयारी में हैं। यानी कांग्रेस ने राज्‍य की आर्थिक हालत को समझे बिना ही लंबे-लंबे चुनावी वादे किए। जिससे कांग्रेस और कमलनाथ सरकार के लिए ‘वचन पत्र’ को लागू करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।

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