राफेल को लेकर HAL ने दिया ऐसा जवाब बंद हो जाएगी राहुल गांधी का जबान

नई दिल्ली। पिछले कुछ महीनों से केंद्र की बीजेपी सरकार और कांग्रेस के बीच सिर्फ राफेल (RAFAL) डील को लेकर घमासान मचा हुआ है। दूसरे मुद्दों की गूंज सुनाई नहीं दे रही। वहीं इस मामले में अब एचएएल ने खुद आगे आकर कांग्रेस और राहुल गांधी के सवालों का जवाब दिया है।

बीते कुछ दिनों से लगातार चुनावी सभाओं में राहुल राफेल (Rafael) का राग गाते रहे हैं। राहुल और कांग्रेस के मुताबिक सरकार ने राफेल के सौदे में प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। वहीं कांग्रेस का तर्क है कि उनकी सरकार यानी मनमोहन सिंह के पीएम रहते वक्त विमानों की जो कीमत तय की गई थी, उससे तीन गुना दामों में मोदी सरकार विमान खरीद रही है।

ऑफसेट का तोहफा देने का आरोप

यही नहीं कांग्रेस का सीधा आरोप है कि केंद्र सरकार की ओर से रिलायंस डिफेंस को 3.9 अरब यूरो के ऑफसेट ‘तोहफे’ में दिए गए।  जबकि रिलायंस डिफेंस को लड़ाकू जेट या रक्षा उपकरण बनाने का कोई अनुभव नहीं है। रिलायंस डिफेंस की कंपनी सौदे के कुछ दिन पहले ही बनी थी।

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HAL ने दिया करारा जवाब

वहीं अब कांग्रेस के इन आरोपों का मोदी सरकार जहां बचाव करती रही। वहीं एचएएल ने करारा जवाब दिया है। HAL ने बकायदा एक पत्र और डील के कागजात देते हुए कहा है कि ‘राफेल की आपूर्ति के लिए HAL पार्टी नहीं है।’ HAL ने कांग्रेस के आरोप को खारिज करते हुए कहा- ‘HAL के चेयरमैन ने मार्च 2015 में दसॉ फैसिल्टी का दौरा नहीं किया था।’ हालंकि HAL और दसॉ एविएशन के अधिकारियों के बीच 2014 में बैठकें हुई थीं। इनमें HAL के Offg. GM (offsets) ने हिस्सा लिया। वहीं HAL ने साफ किया है कि इस वक्त लाइसेंस के तहत तीन विमान/हेलिकॉप्टर्स का निर्माण कर रहा है, वो हैं- Su-30, डॉर्नियर Do -228 और चेतक हेलिकॉप्टर” हैं।

सदन से संसद तक कांग्रेस का हंगामा

कांग्रेस ने जोर शोर ने सदन और सड़क पर सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस का सरकार पर आरोप लगाती रही है कि देश की सबसे बड़ी विमान बनाने वाली कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को भारी नुकसान पहुंचा। जबकि एचएएल के बनाए गए एयरक्राफ्ट की बदौलत ही 1999 के करगिल युद्ध के समय पाकिस्तानी सेना पर बम गिराए थे, लेकिन सरकार ने इस कंपनी को राफेल करार के योग्य नहीं पाया।

पूर्व अधिकारियों ने भी लगाया था आरोप

कांग्रेस ने इस दौरान अपने आरोपों को सही साबित करने के लिए पूर्व वायुसेना के अधिकारियों के साथ भी मीडिया के सामने डील में घपला घोटाला की बात करती रही है। कुछ दिन पहले मनमोहन सरकार के समय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा और HALके तत्कालीन प्रमुख के एल राजू की मौजूदगी में ये ऐलान किया और साथ ही राफेल कॉन्ट्रेक्ट को जिम्मेदारियों के बंटवारे की स्थिति स्पष्ट की गई। कांग्रेस का आरोप है कि दसॉ एविएशन के चेयरमैन के इस बयान से साफ है कि दसॉ और HAL तब तक समझौते को तकरीबन तय कर चुके थे।

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