राजस्थान के धौलपुर में विधानसभा चुनाव के दौरान दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने आपस में रिश्तेदार दो प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतार दिया। बीजेपी ने शीला रानी नाम की महिला को अपना प्रत्याशी बनाया।
तो वहीं शीला के जीजा को कांग्रेस ने टिकट दे दिया। दोनों में जमकर वोटरों को लुभाया। लेकिन आखिर में जीत शीला रानी यानी की साली की हुई। वहीं कांग्रेस से प्रत्याशी जीजा को 19 हजार 360 वोटों से हरा दिया।
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वसुंधरा को मिली थी धौलपुर में हार
दरअसल धौलपुर के पूर्व बसपा विधायक की पत्नी शोभारानी कुशवाह भाजपा में शामिल होने के बाद चुनाव मैदान में उतरी थीं। ये वही धौलपुर सीट है, जहां 1985 में वसुंधरा राजे ने अपनी सियासत की शुरुआत की थी। पहला चुनाव धौलपुर सीट से ही लड़ा था। लेकिन राजे को यहां हाल का मुंह देखना पड़ा था। वहीं शोभा रानी ने भाजपा के खाते में अबतक की सबसे बड़ी जीत दर्ज करा डाली है.
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उपचुनाव में बनी थी पहली बार विधायक
शोभा रानी इस सीट से दूसरी बार चुनाव जीतकर विधायक बनी हैं। इससे पहले उनके पति इस सीट से चुनाव लड़ते थे। लेकिन कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधायकी चली गई थी।
बहन के प्रेमी हत्या का लगा था आरोप
शोभा रानी के पति बनवारी लाल पर बहन के प्रेमी की हत्या का आरोप था। जिसके बाद धौलपुर अदालत ने दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी। उसके बाद पति की सीट पर लड़ी शोभारानी ने उपचुनाव में जीत हासिल की थी।
फर्जीवाडे में फंस चुकी है शोभारानी
इसी साल 12.50 करोड़ के फर्जीवाड़े में शोभारानी कुशवाह के खिलाफ कोर्ट ने वारंट भी जारी किया था। आरोप है कि विधायक शोभा रानी कुछ साल पहले गरिमा रियल एस्टेट एंड एलाइड लिमिटेड और गरिमा होम्स एंड फार्म हाउस लिमिटेड के निदेशक मंडल में शामिल थी। जिसको उनके पति और कुछ रिश्तेदार मिल कर चलाते थे।
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रातों रात भागी कंपनी
कंपनी ने 2010 से 2016 तक भागलपुर इलाके में लोगों से पांच साल में दोगुने पैसे करने का लालच देकर 12 करोड़ से ज्यादा रुपए वसूले थे। लेकिन जो वापस चेक दिए, वो कुछ दिनों बाद बाउंस हो गए। इसके बाद लोगों का पैसा लेकर कंपनी रातों रात भाग गई। जिसके बाद कोर्ट ने शीला रानी के खिलाफ वारंट तक जारी किया था।