गौ माता भी नहीं बचा पाई गाय मंत्री को, जानिए कितने वोटों से हारे देश के पहले गौपालन मंत्री

रजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ का चुनाव जब शुरू हुआ था तब कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों की तरफ से विकास की बात की जा रही था. लेकिन जैसे जैसे मतदान की  का दिन नजदीक आया विकस का मुद्दा गायब हो गया. जनता के सरोकार रखने वाले मुद्दे गायब हो गए और उनकी जगह गाय, गौत्र, हनुमान जैसे मुद्दों ने ले ली.

गोहत्या, गोसेवा पर देश में खूब राजनीति हुई. प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मुद्दे पर कई बार बयान दिया. देश के विभिन्न राज्यों में गोसेवा के नाम पर कथित गोरक्षकों ने कानून हाथ में लिया. राजस्थान के अलवर में कथित गोरक्षकों ने पहलू खान की जान ले ली थी. ऐसी ही घटनाएं देश के अलग अलग राज्यों मे भी देखने को मिली थी जब कथित गोरक्षकों ने गोतस्करों को पीट पीटकर मार दिया था. लेकिन राजस्थान में 11 दिसंबर को जब मत पेटियां खुली. तब राजनीतिक दलों को पता चल गया कि जनता को क्या पंसद है. जनता ने गाय, गौत्र जैसे मुद्दे पर वोट नहीं दिया.

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान में गाय मंत्री बनाया था. और गोसेवा करके वोट जुटाने की कोशिश की. लेकिन उनका यह दाव उन्हें विफल हो गया. बीजेपी को राजस्थान में महज 73 सीटे मिली. और तो और गाय मंत्री अपनी सीट तक नहीं बचा सके. देश में ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी को गाय मामलों का मंत्री बनाया गया था. और उसे गौपालन मंत्री कहा गया.

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बीजेपी सरकार में ओटाराम देवासी को राजस्थान सरकार ने गाय मामलों का मंत्री बनाया था. इस बार बीजेपी ने उन्हें सिरोही सीट से चुनाव लड़ावाय. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

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ओटाराम देवासी  को कांग्रेस से दो बार विधायक रहे बागी निर्दलीय संयम लोढ़ा ने करीब 10 हजार मतों से शिकस्त दी है. ओटाराम देवासी को साल 2013 के विघानसभा के चुनावों में 82098 वोट मिले थे. उन्होंने संयम लोढ़ा को 24439 वोटों से हराया था. साल  2008 में हुए विधानसभा चुनावों में ओटाराम 56400 वोट मिले थे और संयम लोढ़ा को 47830 वोट मिले थे.

 

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