प्रदेश में पिछड़ा वर्ग आरक्षण (obc) को लेकर यूपी में चल रही सियासत नए मोड़ पर पहुंच गई है। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण (reservation) के बंटवारे और हानि लाभ समझने के लिए यूपी सरकार ने चार सद्स्यीय कमेटी का गठन किया था। जिसकी रिपोर्ट आ गई है।
जिसमें साफ तौर पर कहा गया है, कि प्रदेश में पिछड़ी जाति के आरक्षण कोटे में यादव और कुर्मियों को सिर्फ 7 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है।
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राजनीतिक, आर्थिक रूप से यादव, कुर्मी संपन्न
अन्य पिछड़ा वर्ग यानी OBC की उप-जातियों को बीजेपी ने अपने पाले में करने के लिए आरक्षण का ये कार्ड चलने की तैयारी में हैं। जून के महीने में योगी सरकार ने समिति को पिछड़ों के आरक्षण की समीक्षा और संरचना के साथ सामाजिक यथा स्थिति समझने की जिम्मेदारी दी थी। चार सदस्यों वाली सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ओबीसी 27 प्रतिशत कोटे में से यादव और कुर्मी को केवल सात प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है। टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार के मुताबिक समिति ने सुझाव दिया है कि यादव और कुर्मी दोनों जातियां न सिर्फ सांस्कृतिक बल्कि आर्थिक और राजनीतिक रूप से सक्षम है।
ओबीसी की 79 उप जातियों का बंटवारा
राजनीति नजरिए से यादवों को समाजवादी पार्टी का और कुर्मी समाज को भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल का कोर वोट बैंक समझा जाता है। जस्टिस राघवेंद्र कुमार की समिति में ओबीसी को 79 उप-जातियों में बांटा गया है। माना जा रहा है कि समिति की रिपोर्ट को सरकार इसी शीतकालीन सत्र में विधानसभा के पटल पर रख सकती है।
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लोध, कुशवाहा, तेली को 11% आरक्षण
इससे पहले ओबीसी और एससीएसटी आरक्षण को लेकर बनी समिति ने भी बीते दिनों एक रिपोर्ट दी थी। जिसमें कोटे को तीन-तीन टुकड़े में बांटने की सिफारिश की थी। नई समिति की रिपोर्ट के मुताबिक लोध, कुशवाहा एवं तेली सहित अत्यंत पिछड़ी जातियों को अधिक राहत देने का सुझाव दिया गया है। समिति के मुताबिक इनके लिए 11 प्रतिशत आरक्षण देने की आवश्यकता है।
यादव, कुर्मियों का नौकरियों में कब्जा
400 पन्नों की समिति की रिपोर्ट में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए रोजगार के अवसर जनसंख्या के मुकाबले आधे हैं। जबकि कुछ यादव और कुर्मी जैसी उप जातियों को नौकरी के मौके ज्यादा मिल रहे हैं। जिनको मध्यम वर्ग की श्रेणी में रखा जा सकता है।
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राजभर, घोसी, कुरैशी को 9% आरक्षण
रिपोर्ट के अनुसार राजभर, घोसी एवं मुस्लिम समुदाय के कुरैशी जैसी अत्यंत पिछड़ी जातियों को 9 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक ये समुदाय या तो तृतीय अथवा चौथी श्रेणी की नौकरियों में हैं या पूरी तरह से सरकारी नौकरी विहीन है।
योगी का मास्टरस्ट्रोक
ओबीसी आरक्षण में संभावित बंटवारे को बीजेपी की गैर यादव, गैर कुर्मी बिरादरी के वोटों में कब्जे की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। यूपी में सपा और बसपा के बीच गठबंधन होने की इसे काट माना जा रहा है। जो लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है।