शुक्रवार को राजस्थान में मतदान, बीते 5 सालों में इस मामलों में फेल रही वसुंधरा सरकार
जयपुर: राजस्थान में कल यानी 7 दिसंबर को विधानसभा चुनावों के मतदान होने हैं. यहां बीते 5 साल से बीजेपी की सरकार को वसुंधरा राजे सिंधिया चला रही थीं. इस दौरान उनके सामने काफी कुछ कर दिखाने का मौका था. कुछ क्षेत्रों में वसुंधरा की सरकार ने करके दिखाया भी, लेकिन तमाम अहम क्षेत्र अभी ऐसे हैं, जिनमें उनकी सरकार लोगों की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी.
विकास दर में आगे
राजस्थान में बीते 5 साल में विकास दर काफी आगे रही. औसतन राज्य ने 7 फीसदी विकास दर हासिल की, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है, लेकिन ये विकास दर बेरोजगारी दूर करने में नाकाम रही. इसके अलावा विकास के बावजूद महिलाओं की शिक्षा के मामले में और प्रसव के दौरान महिलाओं की मौतों की तादाद कम करने में भी वसुंधरा राजे की सरकार फेल नजर आई.
आठवें स्थान पर राज्य की सकल घरेलू उत्पाद दर
राजस्थान में 2017-18 में सकल घरेलू उत्पाद की दर यानी जीएसडीपी 7.2 फीसदी रही. ये 6.7 के राष्ट्रीय औसत से भले ही ज्यादा हो, लेकिन मध्यप्रदेश के 12.3, बिहार के 11.3, गुजरात के 10.1, कर्नाटक के 9.3, तमिलनाडु के 8.1, केरल के 7.4 और महाराष्ट्र के 7.3 फीसदी की दर से पीछे राजस्थान की जीएसडीपी रही.
कृषि क्षेत्र में विकास
राजस्थान के कृषि क्षेत्र में 23 फीसदी विकास हुआ और ये 2011-12 के 1,19,103 करोड़ से बढ़कर अब 1,45,948 हो गया है. बावजूद इसके राजस्थान टॉप राज्यों में पांचवें नंबर पर है. हकीकत ये है कि वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान कृषि उत्पादन में महज 9 फीसदी ही बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यानी खेती को बचाने और किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते सरकार ने जरूरी कदम नहीं उठाए.
कई क्षेत्रों में विकास, लेकिन रोजगार नहीं
विनिर्माण, कंस्ट्रक्शन और बिजली के क्षेत्र में राजस्थान ने वसुंधरा राजे सरकार के दौरान 28 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की. सेवा क्षेत्र में ये बढ़ोतरी 40 फीसदी रही. बावजूद इस विकास के बेरोजगारी की दर 2011-12 के 1.7 फीसदी से बढ़कर 2015-16 में 7.1 फीसदी हो गई. 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी की दर 1.6 फीसदी थी. जो 2015-16 में 7.7 फीसदी हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में 2011-12 में बेरोजगारी की जो दर 2 फीसदी थी, वो 2015-16 में 4.3 पर पहुंच गई.
महिलाओं के लिए बढ़ी दिक्कत
राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान महिलाओं के लिए मुश्किलों में कमी आती नहीं दिखी. यहां प्रसवकालीन मौतों का आंकड़ा प्रति एक लाख में 199 का है. जो देश में तीसरी सबसे ज्यादा है. वहीं, महिलाओं की साक्षरता दर भी 56.5 फीसदी है. ये राष्ट्रीय औसत 68.4 फीसदी से काफी कम है. 10-11 साल तक शिक्षा लेने वाली लड़कियों की संख्या के मामले में भी राजस्थान पांचवें नंबर पर है.