ये कौन सा विकास ? जब भूख से मरने वालों की लगातार बढ़ रही तादाद

Which development? When the number of people who die of hunger continues to rise

नई दिल्ली: आर्थिक विकास में भले ही हम आगे हों, भले ही हम दुनिया की छठी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बन गए हों, लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है. हकीकत ये है कि देश में भूख से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है. खासकर भूख से मौतों के सबसे ज्यादा मामले यूपी और झारखंड में हो रहे हैं.

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ये कहते हैं आंकड़े

बीते चार साल की बात करें, तो देशभर में 56 लोगों की मौत भूख से हुई. इनमें से 42 लोगों की मौत 2017-18 के बीच हुई है. आईआईटी अहमदाबाद की अर्थशास्त्री रितिका खेड़ा की संस्था राइज यूपी की रिपोर्ट बताती है कि भूख से होने वाली मौतें सबसे ज्यादा यूपी और झारखंड में हुईं. महज एक साल में दोनों राज्यों में 16-16 लोगों ने लंबे समय तक दो जून की रोटी न मिलने की वजह से जान गंवाई है.

 ये है भूख से मौत की वजह

रितिका खेड़ा की संस्था की रिसर्च बताती है कि भूख से मौत की बड़ी वजह गरीबों को राशन की दुकान से अनाज न मिलना है. बता दें कि राशन की दुकानों से गरीबी रेखा से नीचे यानी बीपीएल परिवार को अनाज देने का प्रावधान है, लेकिन आधार कार्ड इसके लिए जरूरी है. ऐसे में तमाम परिवारों को राशन न मिलने की खबरें आए दिन सामने आती हैं. इसके अलावा बुजुर्गों और विधवाओं को पेंशन न मिलना भी भूख से मौत की बड़ी वजह के रूप में सामने आया है.

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इन समुदायों में मौतें

अर्थशास्त्री रितिका खेड़ा की रिसर्च बताती है कि भूख से मरने वालों में दलित, आदिवासी और मुसलमान हैं. सबसे ज्यादा मौतों के मामले यूपी, बिहार और झारखंड में रहने वाले मुसहरों में देखा गया है. बता दें कि मुसहर, चूहे पकड़ते हैं और उन्हें भोजन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. ये महादलित में शुमार किए जाते हैं और ज्यादातर को सरकारी सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिलता है.

कुशीनगर में हाल में दो मौतें

यूपी के कुशीनगर जिले के खिड़किया गांव में रहने वाले फेकू और पप्पू नाम के दो मुसहर युवकों की 13 और 14 सितंबर को मौत हुई थी. उनकी मां सोमवा विधवा हैं और उनके मुताबिक कई महीनों से परिवार को ठीक से भोजन नहीं मिल रहा था.

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