लखनऊ, राजसत्ता एक्सप्रेस। कभी लॉकडाउन तो कभी मजदूरों की समस्याओं को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मौजूदा सरकार पर लगातार हमलावर हैं। एक दिन पहले अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का मजाक उड़ाया था। अब उन्होंने बेबस मजदूरों की तस्वीर ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों को काम पर लाने के लिए तो सरकार उद्योगपतियों को पास दे रही है, पर घर लौट रहे उन बेबस मजदूरों के लिए कोई इंतजाम नहीं जो सड़कों पर भूखे-प्यासे मरने पर मजबूर हैं। अब सब जान गये हैं कि ये सरकार अमीरों के साथ है और मजदूर, किसान, गरीब के खिलाफ है। भाजपा की कलई खुल गई है।
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ये कैसा समाधान है? किसानों से क़र्ज़ लेने के लिए कहा जा रहा है. ये समय भविष्य की हवा-हवाई बातों का नहीं, किसानों-ग़रीबों को तत्काल नकद राहत देने का है. सरकार के पैकेज की जैसे-जैसे परतें खुल रही हैं, वैसे-वैसे इसका खोखलापन भी सामने आ रहा है.
ये पैकेज नहीं जुमलों का पिटारा है. pic.twitter.com/mkTclQoIIh
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 14, 2020
ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर कर अखिलेश ने कहा कि ये कैसा समाधान है? किसानों से कर्ज लेने के लिए कहा जा रहा है। ये समय भविष्य की हवा-हवाई बातों का नहीं, किसानों-गरीबों को तत्काल नकद राहत देने का है। सरकार के पैकेज की जैसे-जैसे परतें खुल रही हैं, वैसे-वैसे इसका खोखलापन भी सामने आ रहा है। ये पैकेज नहीं जुमलों का पिटारा है।
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20 लाख के पैकेज का उड़ाया था मजाक
प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ के पैकेज के ऐलान पर बुधवार को अखिलेश यादव ने दो ट्वीट कर कहा था कि पहले 15 लाख का झूठा वादा किया और अब 20 लाख करोड़ का दावा, इस पर कोई कैसे एतबार करे। उन्होंने यह भी कहा कि संकट के समय में भी गरीबों की अनदेखी करना अमानवीय है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘पहले 15 लाख का झूठा वादा और अब 20 लाख करोड़ का दावा…। अबकी बार लगभग 133 करोड़ लोगों को 133 गुना बड़े जुमले की मार…। ऐ बाबू कोई भला कैसे करे एतबार…। अब लोग ये नहीं पूछ रहे हैं कि 20 लाख करोड़ में कितने जीरो होते हैं बल्कि ये पूछ रहे हैं उसमें कितनी गोल-गोल गोली होती हैं।’
इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था, ‘ये सच है कि बुनियाद कभी दिखती नहीं पर ये नहीं कि उसे देखना भी नहीं चाहिए। जिन गरीबों के भरोसे की नींव पर आज सत्ता का इतना बड़ा महल खड़ा हुआ है, ऊंचाईयों पर पहुंचने के बाद, संकट के समय में भी उन गरीबों की अनदेखी करना अमानवीय है। ये सबका विश्वास के नारे के साथ विश्वासघात है।’