होमगार्ड के बेटे ने गाड़ा सफलता का झंडा, देश में हासिल किया 114वां स्थान

होमगार्ड के बेटे ने गाड़ा सफलता का झंडा, देश में हासिल किया 114वां स्थान

लखनऊ: इटौंजा के अलादातपुर गांव के रहने वाले शिवम मिश्र ने आईईएस में 114वीं रैंक हासिल करके सफलता का झंडा गाड़ा है. वहीं शिवम का कहना है कि उनकी उड़ान यहीं नहीं रूकने वाली बल्कि उनका लक्ष्य आईएएस अफसर बनना है. दरअसल, शिवम खुद को आईआईटी में पढ़ते हुआ देखना चाहते थे, लेकिन जब वहां चयन नहीं हुआ तो शिवम के मन में निराशा छा गई. इसके बाद मजबूरन प्राइवेट कॉलेज से इंजीनियरिंग करनी पड़ी, लेकिन इस बीच शिवम के मन में ये सवाल आते थे कि नौकरी कहां मिलेगी और कैसे मिलेगी. शिवम सोचते थे कि पापा तो होमगार्ड हैं और बहनों की पढ़ाई के कराण उन पर आगे का खर्च भी नहीं डाल सकता था, लेकिन शिवम के पापा ने ही शिवम को आगे का रास्ता दिखाते हुए इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज की तैयारी करने की सलाह दी और शिवम ने पहली बार में ही आईईएस में 114वीं रैंक हासिल करके पापा का सपना पूरा किया.

संयुक्त परिवार ने कभी हौसला टूटने नहीं दिया

शिवम कहते हैं कि वो अपने भाई-बहनों की मदद तो करेंगे ही और साथ में एक ऐसे गरीब बच्चे की पढ़ाई का खर्च भी उठाएंगे, जो जीवन में कुछ बनने का हौसला रखता हो. शिवम बताते हैं कि उनकी जॉइंट फैमिली ने उनका हौसला कभी भी टूटने नहीं दिया. शिवम के पापा नीलाभ चंद्र मिश्र होमगार्ड हैं और चाचा ललिलतेश मिश्र प्राइवेट नौकरी करते हैं. इन दोनों ने ही शिवम की पढ़ाई के दौरान जरूरतें पूरा करने का पूरा प्रयास किया. जहां पिता ने शिवम को पढ़ाई के लिए गाइड किया तो वहीं मां ने बेटे के खाने-पीने का पूरा ध्यान रखा. साथ ही बहन अंजलि ने भी भाई शिवम की काफी मदद की.

दोस्तों से मांगनी पड़ती थीं किताबें

शिवम ने बताया कि पापा होमगार्ड हैं और एसएसपी आवास पर तैनात हैं. पापा की सैलरी कम है. वहीं भाई-बहन भी पढ़ाई कर रहे हैं, जिसके चलते बुनियादी जरूरतों के लिए भी कभी-कभी मन मार कर रहता था. पढ़ाई के लिए कई बार दोस्तों से किताबें मांगनी पड़ती थी. उन्होंने बताया कि जब 2013 में रामस्वरुप कॉलेज में उनका मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला हुआ. जहां स्कॉलरशिप मिली और उसके बाद हमें 20 हजार रुपये ही फीस देनी होती थी, लेकिन 20 हजार रुपये भी हमारे लिए कोई छोटी रकम नहीं थी. ऐसे में हमें 2 लाख रुपये का एजुकेशन लोन लेना पड़ा. वहीं शिवम के पापा बेटे की इस सफलता से काफी खुश हैं.

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