भारत ने आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाने की योजना बनाई है.भारत सिंधु जल समझौते के अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकेगा। इसके लिए दो बांध समेत तीन परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जाएगा।
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सरकारी अधिकारियों ने बताया कि दोनों देशों के बीच हुए सिंधु जल समझौते के तहत भारत को मिले उसके हिस्से का बहुत सारा पानी पाकिस्तान चला जाता है। लेकिन अब भारत अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकने के लिए पंजाब के शाहपुर कांडी बांध परियोजना, सतलुज-ब्यास की दूसरी लिंक परियोजना और जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित उज्ज बांध परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करेगा। लाल फीताशाही और राज्यों के आपसी विवाद में ये परियोजनाएं फंसी पड़ी हैं।
क्या है सिंधु जल समझौता
सिंधु नदी का इलाका करीब 11.2 लाख किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. ये इलाका पाकिस्तान (47 प्रतिशत), भारत (39 प्रतिशत), चीन (8 प्रतिशत) और अफ़गानिस्तान (6 प्रतिशत) में है. एक आंकड़े के मुताबिक करीब 30 करोड़ लोग सिंधु नदी के आसपास के इलाकों में रहते हैं.
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जानें सिंधु जल समझौते से कितना पानी मिलता है भारत को
सिंधु जल समझौते के मुताबिक सिंधु की तीन सहायक नदियों सतलुज, ब्यास और रावी नदी का पानी भारत को मिला है, जबकि चेनाब, झेलम और सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान के हिस्से में है। इन नदियों के कुल 16.8 करोड़ एकड़-फुट पानी में से भारत को उसके लिए आवंटित तीनों नदियों से 3.3 करोड़ एकड़-फुट पानी मिलता है, जो कुल जल का लगभग 20 फीसद है। इसमें से भी भारत अपने हिस्से के करीब 93-94 फीसद जल का ही उपयोग कर पाता है, बाकि का पानी बहकर पाकिस्तान में चला जाता है।
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गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान ने नौ सालों की बातचीत के बाद 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता (सिग्नेटरी) है। दोनों देशों के जल आयुक्तों को साल में दो बार मुलाकात करनी होती है और परियोजना स्थलों एवं महत्त्वपूर्ण नदी हेडवर्क के तकनीकी दौरे का प्रबंध करना होता है।