मोदी सरकार को 2019 लोकसभा ( election-2019) में परास्त करने का सपना देख रही कांग्रेस को सपा बसपा ने यूपी में पस्त कर दिया। आरएलडी, सपा, बसपा ने आपस में सीटें बांटकर (seat) कांग्रेस का सपना लगभग तोड़ दिया है। तीनों ने मिलकर आपस में सीटों का बंटवारा करके कांग्रेस को झुकने के लिए मजबूर कर दिया।

यूपी में फूलपुर और कैराना उप चुनाव के बाद ये तय हो गया था। कि प्रदेश में सपा और बसपा का गठबंधन 2019 से पहले हो जाएगा। कांग्रेस को लेकर असमंजस थी, पर अब जो ख़बरें आ रही हैं। उसके बाद सब साफ हो गया है यूपी में गठबंधन से कांग्रेस का पत्ता कट गया है। जिसका संदेश मायावती ने हाल के चुनाव परिणाम के बाद दे दिया था। वहीं स्टालिन के बयान के बाद अखिलेश ने भी राहुल को पीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर कहा था कि उनका विचार हो सकता है। लेकिन महागठबंधन की पार्टियों का नहीं।

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क्षेत्रवार गठबंधन की नई रणनीति

सपा बसपा और आरएलडी के इस कदम से क्षेत्रवार गठबंधन करने की नई रणनीति उभर कर सामने आ रही है। जो पहले केंद्रीय गठबंधन की सूरत से बिल्कुल अलग है। मोदी को हराने के लिए एक साथ पूरे देश में गठबंधन की जगह क्षेत्रीय गठबंधन से बीजेपी को नुकसान पहुंचाने की तैयारी है। जैसा की यूपी में दिख रहा है।

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कांग्रेस के अकेले लड़ने के दोनों को फायदा

इस गठबंधन के बाद अगर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती है। तो उसका फायदा सपा, बसपा दोनों को  होगा। क्योंकि कांग्रेस जितना बीजेपी का सवर्ण वोट काटेगी। उतना ही सपा और बसपा को फायदा होगा। कांग्रेस के साथ आने से कांग्रेस  प्रत्याशी को तो पिछड़ों और दलितों का वोट मिल जाता, लेकिन कांग्रेस बीएसपी और सपा के प्रत्याशियों के लिए सवर्ण वोट कन्वर्ट कराने में नाकाम रहती। जैसा की 2017 के चुनाव में देखने को मिल चुका है।

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अपने वोट बैंक पर भरोसा

बीएसपी, सपा और आरएलडी ने आपस में समझौता करके ये दिखा दिया है। कि उनको अपने कोर वोटर पर पूरा भरोसा है। प्रदेश में दलित और पिछड़े मिलाकर करीब 41 प्रतिशत वोटर हैं। अगर दोनों साथ लड़ेंगे तो दोनों को भरोसा है, कि वो इस वोट बैंक को अपने पाले में कर लगें।

जिसकी जितनी साझीदारी, उसकी उतनी भागीदारी

अब गठबंधन की इमारत सीटों के आधार पर तैयार होगी। क्षेत्रवार गठबंधन में जो जितनी सीटें जीतेगा उसको उसी आधार पर हिस्सेदारी मिलेगी। यूपी में सपा और बसपा का टारगेट ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने का है। ताकि पीएम पद के लिए दावेदारी की जा सके।

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कांग्रेस के सामने झुकना मंजूर नहीं

यूपी में कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए इसलिए भी दोनों बच रहे थे. क्योंकि तीन राज्यों में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस के हौसले सातवें आसमान पर है। वहीं पीएम पद के लिए गोलबंदी शुरु हो गई है। कांग्रेस का दावा इस जीत से मजबूत जरूर हुआ है। लेकिन माया और अखिलेश को यूपी में सीटों के बंटवारे में कांग्रेस की ज्यादा सीटों की मांग मंजूर नहीं थी। जिसको लेकर उन्होंने आरएलडी के साथ सीटों का बंटवारा करके अपनी मंशा साफ कर दी है।

 

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