प्रयागराज में विहिप की धर्मसभा की हवा निकालेंगे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती

राममंदिर (rammandir) पर सियासत करती आ रही बीजेपी (VHP) और विहिप को बड़ा सदमा लगने वाला है। क्योंकि प्रयागराज (prayagraj) में होने वाली विहिप की धर्मसभा के पहले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अपनी अलग परमधर्म सभा करने जा रहे हैं।

जिसका मुद्दा भी राममंदिर निर्माण होगा। जिसमें वो साधू संतो के साथ बैठकर चिंतन करेंगे। शंकराचार्य की धर्मसभा (dharmsabha) को विहिप की धर्मसभा को चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। जिसको लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं।

राममंदिर को लेकर बीजेपी की राजनीति को अकसर कोसने वाले शंकराचार्य ने 2019 से पहले बीजेपी के एजेंडे की हवा निकालने की तैयारी में है। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने ऐलान कर दिया है, कि वो राममंदिर का शिलान्यांस करेंगे। जिसके लिए वो जेल तक जाने को तैयार हैं।

स्वरूपानंद करेंगे राममंदिर का शिलान्यास

स्वरूपानंद सरस्वती ने साफ कहा है कि वो पैदल चल नहीं सकते, व्हीलचेयर पर वो जाकर मंदिर का शिलान्यास करने को तैयार है। सरकार अगर उनको रोकेगी, तो वो युवाओं को शिलान्यांस के लिए भेजेंगे। शंकराचार्य स्वरूपानंद के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। स्वामी स्वरूपानंद को कांग्रेस का करीबी माना जाता है।

धर्मसभा में कई संत लेगें हिस्सा

विहिप के सामने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के आने से लोकसभा से ठीक पहले विहिप को झटका लग गया है। काशी में विहिप की धर्मसभा से ठीक पहले होने वाली इस सभा में कंप्यूटर बाबा से लेकर दूसरे नामी बाबा हिस्सा लेंगे। जो राममंदिर के मुद्दे पर बीजेपी के एजेंडे और वोट की राजनीति का खुलासा करेंगे।

काशी में होगी धर्मसभा

अबतक राम मंदिर के निर्माण को लेकर साधू संतों के साथ बीजेपी अग्रिम पंक्ति में दिखती रही है। लेकिन अब उसके लिए ये सब आसान नहीं होगा। ऐसा नहीं है कि शंकराचार्य विहिप के आयोजन को लेकर पहली बार सामने आए हैं। इससे पहले भी 25 नवंबर को जब विहिप की धर्मसभा अयोध्या में चल रही थी। वहीं दूसरी तरफ शंकराचार्य वाराणसी में साधूसंतों के साथ नई रणनीति तैयार कर रहे थे।

दो खेमों में बंटे साधू संत

लेकिन अब राममंदिर की महाभारत में साधू संत आमने सामने हैं। दोनों दो खेमों में बंट गए हैं। एक के पीछे विहिप है, तो दूसरे के पीछे अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस क्योंकि शंकराचार्य स्वरूपानंद के बारे में पहले से ही आमधारणा है, कि वो कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के करीबी हैं।

राजनीतिक हस्तियां लेगीं हिस्सा

पांच राज्यों में चुनावों के दौरान अयोध्या में विहिप ने धर्मसभा की थी।  लेकिन अब प्रयागराज में कुंभ के दौरान धर्मसभा का आयोजन करने जा रही है। 31जनवरी, 1 फरवरी को होने वाली धर्म सभा में पहली बार साधू संतों के साथ राजनीतिक हस्तियां भी शिरकत करेंगी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ गौरक्षा पीठ के पीठाधीश्वर के रूप में हिस्सा लेंगे। वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल होंगे।

वहीं दूसरी तरफ आदि गुरु शंकराचार्य ने भी एक दूसरी परम धर्मसभा बुलाई है। जिसमें साधू संतों का जमावड़ा होगा। खास बात ये है कि विहिप की धर्मसभा के तीन दिन पहले आयोजित किया गया है। यानी अब साधू संत भी राममंदिर को लेकर न सिर्फ दो फाड़ हो गए हैं। जिसके बाद मंदिर की महाभारत में अब और घमासान होने वाला है।

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